लोक कलाकारों की अपील…
रेगिस्तानी अहसास सदा,
चिलचिलाती धूप और गर्मी,
मिराजों का दामन मिला,
कड़ी मेहनत और मशक्कत से,
बिना कोई उफ़ किए,
लोक कलाओं की परंपरा को,
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुँचाकर हमने,
भारतीयों को किया गौरवान्वित ।
परात की किनारी पर पैर,
सिर पर मटकियों की कतार,
और कमर को लचकाना।
जादू के नाम पर जोखिम उठा मुंह में,
तिली लगाकर आग जलाना।
ठुमकते हुए आखों की पलकों पर,
धारदार चीज़ उठाना और थिरकना।
रावनहटटा, मोरचांग, ढोलकी,
खड़ताल, इकतारा, चिकारा,
जंतर, डेढ़ सतारा, गुजरी और नागफनी,
इन सुरीले यंत्रों की मनमोहक धुनों से,
हर किसी को खूब रिझाना।
कालबेलिया, घूमर, चारी,
भवई, चांग, कच्ची घोड़ी,
और गैर नॄत्य कर,
सबका दिल मोह लेना और खुश कर देना।
ऐ रहनुमाओं !
आज कोविड-19 के ये अंधेरे,
कर रहे कमज़ोर हैं,
आपके अपने लोक कलाकारों को,
विनम्र है ये अपील आप सभी से,
लोक कलाओं, गीत और संगीत की इस,
विरासत को हममें आप बचा लेना,
खुले दिल से साथ हमारा देकर,
आने वाली नई पीढियों को भी,
इन सबका आनन्द उठाने देना।
By:
Dr. Usha Sawhney
Assistant Professor
Department of English
SMP Govt Girls PG College,
Meerut.
Email ID: usha.sawhney01@gmail.com
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